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रूप को संबोधित रंगाकाश
रूप को संबोधित रंगाकाश - डाॅ. राजेश कुमार व्यास दृष्य-अदृष्य, स्थूल-सूक्ष्म की सौन्दर्यानुभूति में अमित अपनी कलाकृतियों के विन्यस्त भावों में समय से जैसे संवाद कराते हैं। बड़ी विषेषता उनके चित्रों की यह भी है कि राजस्थान की लोक चित्र-षैलियों, आंचलिक विषेषताओं के समागम के बावजूद आधुनिक जीवन की छाप वहां हैं। कैनवस पर आकृतियों का कोलाज, पर उनके अर्थ संप्रेषण का कोई आग्रह नहीं। स्पेस की अनंतता! विराटता। संवेदनाओं की विरल अनुभूति में हरेक चित्र अनुभूतियों का जैसे गान है। रंगों को कैनवस पर कुछ इस तरह से उन्होंने बरता है कि हरेक का अपना अस्तित्व है। माने हरा है तो कैनवस पर पूरी तरह से भरा हुआ। नीला, लाल, काला, पीला, श्वेत आदि और इनमें घुलकर बनने वाली दूसरी उनकी रंग युक्तियां भी सहज अपनी लय में कैनवास के भरेपन में लुभाती है। आकृतियों के संग मिट्टी, धूल, धूप और धूंध में कैनवस पर स्मृतियों-विस्मृतियों में जीवन मूल्यों के अनूठे अर्थ। यह ठीक वैसे ही है जैसे लोक चित्र शैलियों में होते हैं। कहीं कोई बनावटीपन नहीं। सरल-सहज। मुझे लगता है, मूर्त रूपों की समष्टि है यह सं...
अमित हारित का स्वप्न सदृश कला संसार
अमित हारित का स्वप्न सदृश कला संसार सपनों का इंतजार नहीं.......... सुमन सिंह सामान्य तौर पर युवा अवस्था को सपने देखने आैर उसे साकार करने के उम्र के तौर पर माना जाता है। उस उम्र से गुजर रहे किसी युवा की अभिव्यक्ति अगर इन शब्दों के साथ आता है कि सपनों का इंतजार नहीं कर सकता यानि can’t wait for dreams। तो पहली नजर में यह बात कुछ चौंकाता सा लगता है तो दूसरी तरफ क्यों जैसा शब्द भी हमारे सामने आता है। इन बातों का जवाब मिलता है इस शीर्षक के साथ ललित कला अकादमी की रवीन्द्र भवन दीर्घा में प्रदर्शित युवा कलाकार अमित हारित के चित्रों को देखने के बाद। अमित जयपुर से हैं आैर उन थोड़े से युवा कलाकारों में से आते हैं जो कला बाजार के मौजूदा भेड़चाल से अलग हटकर कुछ नया हमारे सामने लाते हैं। राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लेकर दुनिया भर में जाना जाता है। जो सदियों से ना सिर्फ राज्याश्रयों में ही पल्लवित पुष्पित हुई बल्कि वहां के लोकजीवन के अंग-संग परवान चढती रही। देखा गया है कि समृद्ध विरासत एक तरफ अगर हमारे रचनात्मकता के लिए प्रेरणा बनती है तो दूसरी तरफ यह कि कला...
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